उद्घोषणा :
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डॉ.अवन्तिका प्रसाद मरमट

( 7 सितम्बर, 1940 – 3 जून,2005)

दलित साहित्य की वैचारिकी एवं नाग संस्कृति क उन्नायक डॉ.अवन्तिका प्रसाद मरमट का जन्म 7 सितम्बर,1940 में उज्जैन में हुवा।

म.प्र. दलित साहित्य अकादमी के संस्थापक डॉ. मरमट जीवनभर समाज के कमजोर वर्ग, विशेषकर दलित वर्ग के समग्र सामाजिक, शैक्षणिक एवं सांस्कृतिक विकास के लिए सक्रिय रहे।

नाग-संस्कृति पर उनका ऐतिहासिक-शधपरक अध्ययन तथा अपनी साहित्य साधना से उन्होंने ने  कई ग्रंथों की रचना की, जिनमें प्रमुख है :

  • शूद्र-एक प्राचीन नाग जाति
  • द्रविड़ -एक प्राचीन जाति का प्रतिरूप
  • वेदकालीन नागजतियों,राजाओं और संस्कृति की खोज
  • मीणा नाग वंश-क्यों और कैसे
  • दलितायन
  • नाग-संस्कृति आदि।

डॉ. मरमट वर्ष 1985 से 1990 तक मध्यप्रदेश विधानसभा के सक्रिय सदस्य (विधायक) रहे। विक्रम विश्वविद्यालय कार्यपरिषद् सदस्य रहकर राजनैतिक एवं अकादमिक क्षेत्र में भी कार्यरत रहे।

  • भारतीय दलित साहित्य अकादमी, नईदिल्ली द्वारा प्रवर्तित डाॅ. बी. आर. अम्बेडकर राष्ट्रीय पुरस्कार (1986)
  • मध्यप्रदेश शासन का प्रतिष्ठा पुरस्कार प्रथम गुरू घासीदास
  • सामाजिक चेतना तथा दलित उत्थान पुरस्कार  (1995)
  • वल्र्ड यूनिवर्सिटी बेन्सन एरिजना,(यू.एस.ए.) द्वारा कल्चरल
  • डॉक्टरेट इन लिट्रेचर की मानद् उपाधि (1996)

सहित अनेक सामाजिक, साहित्यिक एवं राजनैतिक संस्थाओं  द्वारा डॉ. मरमट को सम्मानित किया जा चुका है। बद्ध धर्म-दर्शन और  डाॅ. अम्बेडकर के विचार तथा समकालीन दलित साहित्य लेखन और उसकी वैचारिकी से अभिप्रेरित उनका अस्मरणीय योगदान तथा व्यक्तित्व एवं कृतित्व हमारे लिए सदैव प्रेरक बना रहेगा।