उद्घोषणा :

सुस्वागतम् . . .

तथागत् बुद्ध के संदेश “अत्त दीपो भव” तथा डाॅ. अम्बेडकर के आव्हान “संगठित रहो, शिक्षित बनो, संघर्ष करो” से अनुप्राणित प्रदेश के प्रमुख दलित समाजसेवियों, साहित्यकारों एवं बुद्धिजीवियों के सम्मिलित प्रयास से सांस्कृतिक एवं ऐतिहासिक परम्परा से समृद्ध नगर उज्जैन में एक स्वशासी संगठन के रूप में मध्यप्रदेश दलित साहित्य अकादमी की स्थापना की गई। तदुपरान्त म.प्र. सोसायटी रजिस्ट्रेशन एक्ट 1973 के अन्तर्गत (क्रमांक 19066 दिनांक 18 नवम्बर, 1987 को) संस्था का विधिवत् पंजीकरण कराया गया है। अकादमी का प्रधान कार्यालय बाणभट्ट मार्ग, उज्जैन स्थित होकर कार्यक्षेत्र सम्पूर्ण मध्यप्रदेश है।

घोषित लक्ष्य

घोषित लक्ष्य

मध्यप्रदेश दलित साहित्य अकादमी का लक्ष्य समाज के शोषित-पीड़ित दलितजनों को अपने मानवीय अधिकारों एवं समृद्ध सांस्कृतिक विरासत से अवगत कर, उनमें नवीन चेतना का संचार करना और शोषण व असमानता के विरूद्ध संघर्ष के लिए सतत् प्रेरित करना है। इस निमित्त दलित साहित्य सृजन एवं शोध–अनुशीलन तथा तदुनुरूप परिवेश का सजृन करना है, साथ ही दलितों के मानवोचित सामान्य अधिकारों की उपलब्धि के लिए उन्हें सशक्त अभिव्यक्ति प्रदान कर अपनी सक्रिय वैचारिक-साहित्यिक पहल द्वारा उनकी सामाजिक-सांस्कृतिक अस्मिता की समाज में पुनसर्थापना का प्रयास करना है।

कार्ययोजना

कार्ययोजना

अकादमी द्वारा अपने संस्थापन उद्देश्यों की पूर्ति के निमित्त प्रारंभिक रूप से जो कार्ययोजना निर्धारित की गई है, उसके अन्तर्गत प्रदेश स्तर पर अकादमी की सक्रियता सुनिश्चित करने के लिए जिला स्तरीय ईकाईयों का गठन कर उन्हें सम्बद्धता प्रदान करना, क्षेत्रीय-प्रांतीय व राष्ट्रीय स्तर पर संगोष्ठियाँ, व्याख्यान, कार्यशाला, कवि गोष्ठी, सम्मेलन, परिसंवाद आदि अकादमिक कार्यक्रमों का आयोजन करना तथा आयोजन विशेष पर स्मारिकाओं के प्रकाशन एवं स्तरीय शोध पत्रिका (जर्नल) का प्रकाशन, प्रतिष्ठित दलित साहित्यकारों, समाजसेवियों, सजृनधर्मी कलासाधकों को यथोचित रूप से सम्मानित करना।

डॉ. अवन्तिका प्रसाद मरमट
संस्थापक अध्यक्ष

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डॉ. हरिमोहन धवन 
अध्यक्ष एवं मानद निदेशक

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पी.सी. बैरवा 
सचिव

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