समाज के शोषित-पीड़ित दलितजनों को अपने मानवीय अधिकारों एवं समृद्ध सांस्कृतिक विरासत से अवगत कर, उनमें नवीन चेतना का संचार करने और शोषण व असमानता के विरूद्ध संघर्ष के लिए सतत् प्रेरित करने हेतु दलित साहित्य सृजन एवं शोध–अनुशीलन तथा तदुनुरूप परिवेश सजृन के निमित्त और तथागत् गौतम बुद्ध के संदेश ‘‘अत्त दीपो भव’’ तथा भारतरत्न डॉ. भीमराव अम्बेडकर के आव्हान ‘‘संगठित रहो, शिक्षित बनो, संघर्ष करो‘‘ से अनुप्राणित प्रदेश के प्रमुख दलित समाजसेवियों, साहित्यकारों एवं बुद्धिजीवियों के सम्मिलित प्रयास से एक स्वशासी संगठन के रूप में मध्यप्रदेश दलित साहित्य अकादमी की स्थापना की गई। विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन द्वारा अकादमी को सामाजिक विज्ञान शोध केन्द्र के रूप में मान्यता एवं सम्बद्धता प्राप्त है।
सदस्यता- अकादमी की नियमावली के अधीन उस प्रत्येक व्यक्ति के लिए जिसकी दलितोत्थान एवं तत्सम्बन्धी साहित्य सजृन में सक्रिय अभिरूचि / योगदान है, सदस्यता उपलब्ध है। अकादमी अपनी समस्त संस्थागत गतिविधियों के संचालन एवं संवर्द्धन के लिए शासकीय एवं अर्द्धशासकीय निकायों तथा दानदाता व्यक्तियों से प्राप्त अनुदान एवं सहयोग पर निर्भर करती है।